
जब सती के पिता ने अपनी पुत्री और उसके पति शंकर को यज्ञ में अपमानित किया था और भगवान् शिव को पूरा भला कहा था इस बात से सती बहुत दुखी हुई हुई और उसी समय यज्ञ की जलती हुई अग्नि में कूद कर अपनी जान दे दी उसके बाद भगवान् शिव को गुस्सा आया और उन्होंने शती के शव को उठा कर तांडव नृत्य किया था और इस शव को लेकर इधर उधर विचरने लगे तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव का मोह विनाश करने हेतु माँ पराम्बा सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिये और ये सभी दुकड़े अलग अलग जगह पर जाकर गिरे थे उन्हीं में से गुवाहाटी के पास कामाख्या में माँ की योनि वाला हिस्सा गिरा और वहाँ एक शक्ति पीठ स्थापित हो गया आज तक वहाँ योनि ही स्थित है जिसकी पूजा होती है।इस मंदिर में यौनि के आकर का एक कुंड है जिसमे से जल निकलता रहता है इस कुंड के ऊपर एक लाल कपड़ा होता है जिससे उसको ढक देते है और इसके ऊपर कुछ फूल भी डाल देते है !
इस मंदिर में हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है और इस मेले का नाम है अम्बुबाजी मेला इस मेले में दूर दूर के तांत्रिक और अघोरी हिस्सा लेते है इस मेले में एक चमत्कार होता है वैसे तो यहाँ यौनि से पानी निकलता रहता है लेकिन मेले के तीन दिन यहाँ इस यौनि से खून निकलता है इस मेले को कामरूप का कुम्भ कहा जाता है यहाँ इस मेले के आलावा और भी कई ऐसे महीने है जिनमे यहाँ पूजा की जाती है !