आधुनिक युग में सभी अपने कामों और परेशानियों में इतना व्यस्त हो गए हैं कि कई लोग मंदिरों और तीर्थों की यात्रा पर जाना तो दूर उसके बारे में सोचते तक नहीं। सामान्यतः लोग तीर्थ यात्रा के पीछे पर दान-पुण्य, पापों से मुक्ति आदि कारण ही समझते हैं, लेकिन वास्तव में मंदिर और तीर्थों की यात्रा पर जाने से और भी कई फायदे मिलते हैं। जिनकी वजह से हर किसी को नियमित रूप से मंदिर और तीर्थों पर जाना चाहिए।
1. ऊर्जा का केन्द्र
मंदिरों और तीर्थों को ऊर्जा का केन्द्र माना जाता है। कहा जाता है कि जो ऊर्जा इन जगहों पर रहती है, वह और कहीं नहीं पाई जाती। यही कारण है कि मंदिर या तीर्थ पर जाकर मनुष्य का मन शांत और ऊर्जावान हो जाता है। नियमित रूप से मंदिर जाने वाला हमेशा ऊर्जा और सकारात्मक सोच से भरा होता है। वह अपने सभी कामों को पूरी लगन और ऊर्जा से करता है।
1. ऊर्जा का केन्द्र
मंदिरों और तीर्थों को ऊर्जा का केन्द्र माना जाता है। कहा जाता है कि जो ऊर्जा इन जगहों पर रहती है, वह और कहीं नहीं पाई जाती। यही कारण है कि मंदिर या तीर्थ पर जाकर मनुष्य का मन शांत और ऊर्जावान हो जाता है। नियमित रूप से मंदिर जाने वाला हमेशा ऊर्जा और सकारात्मक सोच से भरा होता है। वह अपने सभी कामों को पूरी लगन और ऊर्जा से करता है।
2. सेहतमंद बनाता है
तीर्थ और मंदिरों की यात्रा स्वास्थ्य की नजर से भी फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि जिस जगह पर मंदिर होता है, वहां का वातावरण एकदम स्वच्छ होता है। वहां का हरा-भरा वातावरण आंखों को राहत और ठंडक देता है। सामान्यतः मंदिरों में सीढ़ियां होती ही हैं, जिन्हें लगातार चढ़ने-उतरने से और भजन-कीर्तन में तालियों के साथ गाने से हथेली और तलवे पर दबाव पड़ता है, जिसे एक्यूप्रेशर कहते हैं। एक्यूप्रेशर कई रोगों को दूर करने में मदद करता है।
3. ज्ञानवर्धक
स्वास्थ्य के साथ-साथ तीर्थ यात्रा हमारे आध्यात्मिक, भौगोलिक औक ऐतिहासिक ज्ञान भी बढ़ाती है। यात्रा के दौरान कई जगहों का इतिहास और महत्व जानने को मिलता है। साथ ही उस जगह से जुड़ी कला, संस्कृति, परंपरा आदि के बारे में भी ज्ञान मिलता है।
4. नए लोगों से मुलाकात
तीर्थ यात्रा की मदद से हम अपने घर-परिवार के अलावा भी अन्य लोगों के संपर्क में आते हैं, जिससे हमारी जान-पहचान में वृद्धि होती है। जिसकी वजह से हमे कई बोलियां, रीति-रिवाज और खान-पान आदि के बारे में जानने का मौका मिलता है। तीर्थों की यात्रा करने से मनुष्य हर परिस्थित में रहना और दूसरों के प्रति अपनेपन का भाव सिखता है।