आयुर्वेद में मोतीः
मोती कैल्शियम का उत्पाद होने के कारण कैल्सियम की कमी से होने वाले रोगों में बहुत ही लाभकारी है, इसे केवड़े या गुलाव जल के साथ घोटकर पिष्टी भी बनाई जाती है। मोती की भस्म भी बनाई जाती है। मोती की भस्म इसी नाम से मिलती है तथा पिष्टी को मुक्ता पिष्टी के नाम से जाना जाता है।
मोती शीतल ,मधुर, शान्ति व कान्ति वर्धक, नेत्र ज्योतिवर्धक, अग्नि दीपक, वीर्यवर्धक व विषनाशक है ।यह कफ, पित्त, श्वांस, आदि रोगों मे अति लाभदायक है।यह हृदय को शक्ति देने वाली औषधि है।
मोती औषधि के रुप में हृदय रोग, मानसिक रोग, रक्त चाप, मूर्छा, मिर्गी , उन्माद, मूत्र की जलन, मूत्र मार्ग में रुकावट, पथरी, अर्श या बवासीर की बीमारी, दाँतों के रोगों, मुख रोगों, उदर विकारों,पेट दर्द, वात, दर्द,गठिया, नेत्र रोगों मियादी बुखार, शारीरिक दुर्वलता, व दाह आदि रोगों को नष्ट करने में प्रयोग किया जाता है।