रत्नों की पहिचान- - Religion of India

Religion of India

Only Religion Of Humanity Of World.

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Monday, October 3, 2016

रत्नों की पहिचान-

हीरे की परख तो जौहरी ही जानता है यह कहावत प्राचीन काल से ही जन समुदाय में प्रचलित है। ये रत्न या जवाहरात प्रकृति प्रदत्त चीज हैं जो भूमि के गर्भ में तैयार होते हैं ये भूमि को खोदकर अर्थात खदानों से निकाले जाते हैं और जैसा कि सभी जानते होंगे या ध्यान देने पर जान पाएगें कि प्रकृति के खेल वड़े निराले होते हैं इसके गर्भ में वृद्धि करने वाली सभी एक जैसी वस्तु भी पूर्णतया एक जैसी नही होती क्योंकि वस्तु अपने मूल को पकड़े रहने तक वृद्धि की ओर अग्रसर रहती है पृथ्वी के अन्दर एक ही प्रकार की अनेक वस्तुऐं होने के बाद भी सबकी उम्र एक जैसी नही होती है जो पत्थर वृद्धि कर ही रहा है उसकी आयु के अनुसार भिन्न प्रकार के समूह बनते चले जाते हैं जब हम इन पत्थरों अर्थात जवाहरातों को देखते हैं तब उनमें प्रकृति प्रदत्त धारी,धब्बे,व दाग आदि दिखाई देते हैं अतः इन दाग धब्बे या धारी को देखकर कई बार होशियार से होशियार जिनको रत्न का ज्ञान ही नही है एसे व्यक्ति असली रत्न को नकली समझ बैठते हैं और काँच के एमीटेशन वाले नगों को वह असली समझ बैठते हैं क्योंकि वह सोचते हैं कि इतना महगा रत्न दाग धब्बे वाला या धारीदार क्यों होना चाहिये अतः इसी सोच के तहत चालाक व ठग मानसिकता वाले व्यापारी फायदा उठाते हुये नकली को ही असली करके बैच देते हैं। अतः यह कहा जाना उचित ही है कि हीरे की परख जौहरी ही जाने ।

लैकिन आज के वैज्ञानिक युग में जैसी कि आशा होनी ही चाहिये एसी मशीने बन गयी हैं जो जवाहरातों की टेस्टिंग कर सकें  लैकिन आज भी यह हर जगह उपलब्ध नही हैं।लैकिन वास्तव में वे केवल यह ही बता सकती हैं कि जिस जवाहरात को टेस्ट कराया जा रहा है वह प्राकृतिक असली है या फिर बनावटी वह उसकी क्वालिटी या मूल्य नही वता सकती हैं। वह केवल यह बता सकती है कि नग काँच से बना है या पत्थर की खदान से निकला हुआ असली है

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages